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बाऊ जी ने कहा था ( Bau ji Ne Kaha Tha) By चन्द्र प्रभा (Chandra Prabha)


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  • ISBN13:9789360701437
  • ISBN10:9789360701437
  • Publisher:StoryMirror infotech Pvt.Ltd
  • Language:Hindi
  • Author:चन्द्र प्रभा (Chandra Prabha)
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Highlights

  • ISBN13:9789360701437
  • ISBN10:9789360701437
  • Publisher:StoryMirror infotech Pvt.Ltd
  • Language:Hindi
  • Author:चन्द्र प्रभा (Chandra Prabha)
  • Binding:Paperback
  • Pages:164
  • Intended Audience:General
  • Title:बाऊ जी ने कहा था ( Bau ji Ne Kaha Tha)
  • Type:Classics
  • BIS/ISI License number:NA
  • BIS/ISI required:NA
  • SUPC: SDL360920200

Other Specifications

Other Details
Country of Origin or Manufacture or Assembly India
Common or Generic Name of the commodity General Fiction
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Description

About the Book:

सामाजिक चेतना से संपृक्त रहते हुए साहित्य - सृजन केवल कल्पना लोक में ही विचरण नहीं
होता अपितु उसमें लोक की भी बात होती है जिसमें हम रह रहे हैं। समस्याओं पर प्रकाश डालने या
इनका समाधान खोजने की साहित्य की शैली सर्वथा भिन्न है।कितने ही महान् व्यक्ति अनाम रह जाते
हैं, किन्तु जहाँ पर वे हैं, वहीं अपने व्यक्तित्व की सुगंध फैलाते हैं, वे महान् विचार महान् संस्कार से
भूषित होते हैं।
एक सरल घर्मप्राण आभिजात्य के संस्कारों में पली निश्छल निष्कपट बुद्धिमती रमणी की कहानी लिये यह उपन्यास है, जो परिस्थिति वश ऐसे अनमेल परिवार में शादी होकर जाती है, जहाँ सब कुछ उसकी आशाओं के विपरीत है, एकदम अनमेल विवाह है। दुःख पर दुःख उठाने पर भी वह अपने आभिजात्य को अपनी मर्यादाओं को नहीं भूलती और अपने पर ही सब कुछ झेलकर स्वाभिमान का जीवन जीती है। जिन्दगी से हार नहीं मानती। मुसीबतों के बवंडर के बीच भी धीरज नहीं खोती और अपनी महिमा में अविचल खड़ी रहती है; प्रतिकूलता में भी भगवान् की कृपा का मंगलविधान का अनुभव करती है, विश्वास डिगने नहीं देती।

About the Author:

उच्च न्यायिक सेवा से लेखिका सेवानिवृत्त हैं और पति श्री ओम कुमार प्रधान मुख्य वन संरक्षक के पद से सेवानिवृत्त हैं। दिया हुआ नाम चन्द्र प्रभा, डिग्री में नाम राजेन्द्रकुमारी एम.ए.,एल-एल.बी.। बिहार प्रादेशिक न्यायिक सेवा में सर्वप्रथम स्थान प्राप्त कर प्रथम महिला जज होने का गौरव। “गृहदीप्ति,” “भोगप्रसाद”, “षडरस”, बेसिक होम कुकिंग”, “भोजन के मीठे कुरकुरे स्वाद,” स्वादिष्ट सब्ज़ियाँ,” “आश्रिता”(उपन्यास), “जीवन में न्याय”, “सरस कहानियाँ”, “एक ही नीड़” - दस पुस्तकें प्रकाशित। आश्रिता उपन्यास पर के. बी. हिन्दी सेवा न्यास(पंजी)द्वारा “हिन्दी भूषण श्री” सम्मान से सम्मानित। क़रीब छब्बीस साझा संकलनों में रचनायें प्रकाशित।
निखिल प्रकाशन समूह आगरा के सात साझा संग्रहों में और श्री नवमान पब्लिकेशंस, अलीगढ़ के चार साझा संग्रहों में रचनायें प्रकाशित हुई हैं और “साहित्य गौरव सम्मान”, “साहित्य वैभव सम्मान” आदि प्राप्त हुए हैं। विद्योत्तमा फ़ाउंडेशन, नासिक से “विद्योत्तमा साहित्य सेवी सम्मान” प्राप्त हुआ है। बृजलोक साहित्य-कला- संस्कृति अकादमी, आगरा से “कलम साधिका” की सम्मानोपाधि मिली है।
स्टोरीमिरर में प्रकाशित रचनाओं के लिये “लिटरेरी जनरल” सम्मान प्राप्त हुआ है; और “फ़्री इंडिया” कहानी प्रतियोगिता में प्रथम स्थान प्राप्त हुआ है, तथा अन्य विधाओं में भी क़रीब सौ से अधिक प्रशंसा प्रमाण पत्र मिले हैं। इन्हें ऑथर ऑफ द ईयर २०२१ और २०२२ में नामित किया गया। स्टोरीमिरर से ऑथर ऑफ द ईयर २०२२ का विजेता प्रमाणपत्र प्राप्त हुआ है। इस वर्तमान उपन्यास “बाऊ जी ने कहा था” को प्रथम पुरस्कार स्टोरीमिरर से प्राप्त हुआ है।

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