About the Book:
कहतें हैं कि किताब वह जरिया है, जहाँ हम अपने विचारों को सही रूप में अभिव्यक्त कर पाते हैं। अगर अपने जीवन के पन्नों को करी-दर-करी संजोना और समझना चाहते हैं, तो किताब से अच्छा कोई माध्यम नहीं हो सकता।
यही वजह है कि लेखिका ने अपने कैंसर इलाज़ के निजी अनुभवों और विचारों को साझा करने के लिए इस किताब को लिखा है। यह दिल को छूने वाली, ‘संघर्षशील और हृदयस्पर्शी कहानी संग्रह’ है, जिसमें कैंसर ही नहीं बल्कि जीवन की हर विपरीत परिस्थितियों से भी सामना करने के लिए हिम्मत मिलती है।
लेखिका के अनुसार “कैंसर- काश से आस का सफर” की कहानी, सच्ची घटनाओं पर आधारित यह किताब कुछ उनकी यादों में बसी है और कुछ एहसासों में बसी है। लेखिका के अपने अंतहीन आशा, अटूट विश्वास और सकारात्मक सोच से कैंसर से लड़ने की शक्ति को इस रूप में प्रस्तुत किया है, जिससे कई कैंसर रोगियों के लिए ही नहीं, वरन आम जिंदगी की नाउम्मीदी को सकारात्मक दृष्टिकोण देने में साबित हो सकती है। यह कहानी है, उन संघर्षों, आशाओं और उम्मीदों की, जिससे हम अपने जीवन को सही ढ़ंग से जीने का सलीका सीख सकते हैं।
About the Author:
प्रतिमा एक लेखिका एवं कवयित्री हैं। साथ ही साथ एक प्रतिष्ठित बैंक में अधिकारी के पद पर कार्यरत हैं।
दुर्भाग्यवश कैंसर से पीड़ित हैं, और टाटा मेमोरियल हॉस्पिटल” मुंबई में इलाज़ करा रहीं हैं। कैंसर से जूझते हुए भी, अपनी जिंदगी से हार न मानते हुए, अपने सपनों को एक साकार रूप देना चाहती हैं। इन्हें कवितायें और लेखन में बहुत रुचि है।
पुस्तक “कैंसर- काश से आस का सफर” की कहानी, उनके सपनों को एक साकार रूप देने में अग्रसर कदम है।