Brand Waali Quality, Bazaar Waali Deal!
Impact@Snapdeal
Help Center
Sell On Snapdeal
Download App
Cart
Sign In
Compare Products
Clear All
Let's Compare!

छूटा हुआ कुछ (Chuta Hua Kuchh)


MRP  
Rs. 350
  (Inclusive of all taxes)
Rs. 270 23% OFF
(2) Offers | Applicable on cart
Get 10% instant Discount Using BOB Credit Cards
Apply for a Snapdeal BOB Credit Card & get 5% Unlimited Cashback T&C
Only 9 Items Left
Delivery
check

Generally delivered in 2 - 4 days

  • ISBN13:978-9390267477
  • ISBN10:9390267471
  • Publisher:StoryMirror Infotech Pvt. Ltd.
  • Language:Hindi
  • Author:Dr Ramakant Sharma
  • View all item details
7 Days Replacement
This product can be replaced within 7 days after delivery Know More

Featured

Highlights

  • ISBN13:978-9390267477
  • ISBN10:9390267471
  • Publisher:StoryMirror Infotech Pvt. Ltd.
  • Language:Hindi
  • Author:Dr Ramakant Sharma
  • Binding:Paperback
  • Pages:164
  • SUPC: SDL451132810

Other Specifications

Other Details
Country of Origin or Manufacture or Assembly India
Common or Generic Name of the commodity Romance
Manufacturer's Name & Address
Packer's Name & Address
Marketer's Name & Address
Importer's Name & Address

Description

About the Book:
हमारा जीवन तमाम तरह की व्यस्तताओं में इतनी तेजी से बीत जाता है कि जब हम पीछे मुड़कर देखते हैं तो हैरत होने लगती है। जहां एक-एक दिन बहुत बड़ा लगता है, वहीं कब वे दिन महीनों और वर्षों में ढ़लते हुए जिंदगी की शाम पर लाकर खड़ा कर देते हैं, पता ही नहीं चलता। यह वह समय होता है जब लोग अपनी ज़िंदगी के बीते हुए क्षणों को सिलसिलेवार लगाने की कोशिश करते हैं। इस प्रक्रिया में उनके मन में उन चीजों का मलाल सिर उठाने लगता है जो उन्हें मिल सकती थीं, पर मिल नहीं पाईं। इसके लिए कभी वे खुद को तो कभी दूसरों को कोसने लगते हैं। जिंदगी में जो कुछ उन्हें नहीं मिल पाया, जो कुछ उनसे छूट गया, वह उन्हें निरंतर सालता रहता है। जो लोग बचपन को बचपन की तरह और जवानी को जवानी की तरह नहीं जी पाए उनके दिल में टीस उठना स्वाभाविक है। लेकिन, उम्र को पीछे तो नहीं लौटाया जा सकता।
“छूटा हुआ कुछ” उपन्यास ऐसी ही एक सेवानिवृत्त महिला उमा जी की कहानी है जो कभी प्रेम के अहसास से नहीं गुजर पाईं। अब जब वे सेवानिवृत्त हो चुकी हैं तो सोचती हैं कि ऐसा क्या और क्यों हुआ जो वे जीवन में कभी किसी की प्रेम-पात्र नहीं बन सकीं और ना ही वे खुद किसी के प्यार में डूब सकीं। समय काटने के लिए जब वे पत्रिकाओं में प्रेम कहानियां पढ़तीं हैं तो बेचैन हो जातीं हैं।

About the Author:
"एम.ए.(अर्थशास्त्र), एम.कॉम (वित्तीय प्रबंधन), एलएल.बी, सीएआइआइबी तथा वित्तीय प्रबंधन में पीएच.डी डा. रमाकांत शर्मा पिछले 45 वर्ष से लेखन कार्य से जुड़े हैं। लगभग सभी प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में उनकी कहानियां, व्यंग्य तथा अनुवाद प्रकाशित होते रहे हैं।

Terms & Conditions

The images represent actual product though color of the image and product may slightly differ.

Seller Details

View Store


Expand your business to millions of customers
छूटा हुआ कुछ (Chuta Hua Kuchh)

छूटा हुआ कुछ (Chuta Hua Kuchh)

Rs. 270

Rs. 350
Buy now