About the Book:
इस पुस्तक में मुख्य रूप से "डिजिटल बैंकिंग" के विषय में लिखा गया है। बदलते युग के इस परिवेश में, बैंक ने अपनी परिभाषा को ग्राहकों के अनुरूप ढालने का सफल प्रयास किया है। इसी संदर्भ में डिजिटल बैंकिंग का एक अहम योगदान रहा है। आधुनिक युग की इस दुनिया में हमारी बैंकिंग कार्यप्रणाली का विस्तार भी काफी व्यापक हो चुका है।
इस पुस्तक में, मुख्य रूप से विमुद्रीकरण के पश्चात, बैंकिंग क्षेत्र में आए हुए डिजिटल क्रांति के बारे में वर्णन किया गया है। नवीनतम बैंकिंग प्रौद्योगिकी रुझान, बैंकों को ग्राहकों को तेज़, अधिक कुशल और अधिक वैयक्तिकृत सेवाएं प्रदान करने की अनुमति देते हैं। पारंपरिक रूप से ऑनलाइन बैंकिंग का महत्व संकुचित था, लेकिन वक्त और आवश्यकता के अनुसार, आधुनिक बैंकिंग अपना विस्तार बढ़ाती जा रही है। इसी संदर्भ मैं बैंक और ग्राहक का संबंध भी डिजिटल युग के साथ-साथ बदल रहा है। इस पुस्तक के माध्यम से डिजिटल बैंक के महत्व और डिजिटल इंडिया के लक्ष्य जैसे विषयों को सारगर्भित करने का प्रयास किया गया है।
इस पुस्तक का उद्देश्य, डिजिटल बैंकिंग से जुड़ी, बुनियादी जानकारी और प्रक्रियाएँ प्रदान करना है। जिसके द्वारा डिजिटल बैंकिंग के विकास के चरण में, पारंपरिक बैंकिंग का परिवर्तन आधुनिक बैंकिंग में और इसके होने वाले प्रभाव को समझाना है। साथ ही साथ इस पुस्तक के माध्यम से, भारत में वर्तमान बैंकिंग प्रथाओं के विभिन्न पहलुओं को प्रस्तुत करने का प्रयास किया गया है।
About the Author:
प्रतिमा एक लेखिका एवं कवयित्री हैं। साथ ही साथ एक प्रतिष्ठित बैंक में अधिकारी के पद पर कार्यरत हैं। दुर्भाग्य वश कैंसर से पीड़ित हैं, और "टाटा मेमोरियल हॉस्पिटल" मुंबई में इलाज करा रहीं हैं। कैंसर से जूझते हुए भी, अपनी जिंदगी से हार न मानते हुए, अपने सपनों को एक साकार रूप देना चाहती हैं। इन्हें कविताएं एवं लेखन में बहुत रुचि है। इससे पूर्व इनकी दो पुस्तकें, क्रमशः "अस्तित्व की पहचान" एवं "कैंसर- काश से आस का सफर" प्रकाशित हैं, जो नेशनल बेस्टसेलर पुस्तकें हैं।