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Anubhooti By Chiranjeev Sinha; Harshashri


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  • Generic
  • Binding:Hardback
  • Pages:192
  • Author:Chiranjeev Sinha; Harshashri
  • ISBN13:9789353228453
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Highlights

  • Generic
  • Binding:Hardback
  • Pages:192
  • Author:Chiranjeev Sinha; Harshashri
  • ISBN13:9789353228453
  • ISBN10:935322845X
  • Language:Hindi
  • Publisher:Prabhat Prakashan
  • SUPC: SDL030481738

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Other Details
Country of Origin or Manufacture or Assembly India
Common or Generic Name of the commodity Literature & Fiction
Manufacturer's Name & Address
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Marketer's Name & Address
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Description

ढाई अक्षर का शब्द रिश्ता एक गजब का गैरमामूली जादुई शब्द है। रिश्ते दरअसल खुशी और गम के सच्चे साझीदार होते हैं। अपनों से दिल के तार जुड़ने पर जहाँ ये मुसकराने की वजह बन जाते हैं, वहीं उनसे बिछुड़ने पर हमारी आँखों की कोरों को धीरे से नम कर जाते हैं।

हर रिश्ते की अपनी एक अलग सुगंध होती है, क्योंकि हर रिश्ता उस व्यक्ति द्वारा दूसरे व्यक्ति के साथ किए गए विशिष्ट संव्यवहार से अपने तरीके से पुष्पित-पल्लवित होता है।

रिश्तों और शब्दों का संबंध बेहद करीबी है। व्यक्ति और अक्षर क्रमशः रिश्ते और शब्दों के संरचनात्मक अवयव हैं। हमारी कोमल भावनाएँ जब शब्दों के रूप में छोटी सी पाती का आकार ग्र्रहण कर रही होती हैं तो ऐसा लगता है कि हम बिना किसी अवरोध के अपने प्रिय के दिल में गहरे तक उन्मुक्त पंछी की तरह प्रवेश कर रहे हों। इसलिए शब्दों से बुनी हुई कहानियाँ पाठकों के अंतस में संवेदना और आपसी लगाव का भाव जगाकर वर्तमान समय में तेजी से दरककर बिखर रहे रिश्तों को सहेजने का एक अत्यंत प्रभावी माध्यम हैं।

प्रस्तुत कहानी-संग्रह में लेखकद्वय की प्रत्येक कहानी इसी भावना को लिये हमारे आस-पास के समाज में बिखरे रिश्तों में समाए उस अनूठे संसार को कागज पर प्रतिबिंबित करती है, जहाँ एक-दूसरे के लिए समर्पण है, चिंता है, तड़प है और कभी-कभी मौन रहकर भी दिल के रास्ते भावनाओं का संपूर्ण संप्रेषण है।

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