वर्षों पूर्व महर्षि भृगु ने जन्मकुंडली की सभी संभावनाओं को समक्ष रखकर उन्हें रेखांकित किया था। प्रस्तुत पुस्तक में ज्योतिष के फलित पक्ष को ही लिया गया है। विभिन्न भावों में ग्रहों के प्रभावों, दशाओं, अंतर्दशाओं तथा ग्रहों के योग से बनने वाले विशेष योग आदि को कुंडलियों के माध्यम से समझाया गया है। इस पुस्तक की सहायता से जातक के अतीत, वर्तमान और भविष्य की संपूर्ण जानकारी प्राप्त हो सकती है।
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