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बोरसी(Borsi)

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  • ISBN13:9788196096571
  • ISBN10:9788196096571
  • Age:13+
  • Publisher:StoryMirror Infotech Pvt. Ltd.
  • Language:Hindi
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Highlights

  • ISBN13:9788196096571
  • ISBN10:9788196096571
  • Age:13+
  • Publisher:StoryMirror Infotech Pvt. Ltd.
  • Language:Hindi
  • Author:प्रतिमा सिंह (Pratima Singh)
  • Binding:Paperback
  • Pages:174
  • Edition:1
  • Edition Details:1
  • BIS/ISI License number:NA
  • BIS/ISI required:NA
  • SUPC: SDL216185336

Other Specifications

Other Details
Country of Origin or Manufacture or Assembly India
Common or Generic Name of the commodity Poetry
Manufacturer's Name & Address
Packer's Name & Address
Marketer's Name & Address
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Description

About the Book:-

कितने ही दृश्य परदे के पीछे रह जाते हैं! कितने किरदार कथानक में अपनी जगह नहीं बना पाते! सच है, तस्वीरें सब कुछ नहीं दिखातीं। कहानियां सब कुछ नहीं सुनातीं। इन दोनों में, बीच में जो रह जाता है, जो छूट जाता है, यह किताब उन कतरनों को समेट कर आगे बढ़ती है।


इसकी कविताएं हमारे अंदर और बाहर बीत रहे को बड़ी बारीकी से उकेरती हैं। इनको पढ़ते हुए आप अपने गांव, घर या शहर को स्पष्ट रूप देख सकते हैं और चलते-चलते ख़ुद को भी महसूस कर सकते हैं। इसके टू लाइनर भी गहरे तक छूते हैं, जैसे-

"नहीं मालूम उसे समन्दर ठगेगा या आसमान, वह बच्ची अपने घरौंदे की दीवार हमेशा नीले रंग से रंगती है।"

लेखिका की यह पहली किताब ज़रूर है लेकिन लगातार घट रहे वक़्त के तमाम पहलुओं को उन्होंने बड़ी सुघड़ता से बुना है। अब यह पाठक के ऊपर है कि कौन सी बात उसके मन के आकार में फ़िट होती हैं, कौन सी मिसफ़िट लेकिन यह ज़रूर है कि महसूसियत के इस बहाव में पाठक का पूरा-पूरा भीगना तय है। जहां छिछला समझ के पांव रखेंगे, अगले ही क्षण डूबने की पूरी संभावना है।



About the Author:

प्रतिमा की यह पहली प्रकाशित पुस्तक है। जन्म मूलतः उत्तर प्रदेश के फ़ैज़ाबाद ज़िले के एक छोटे-से गाँव सारंगापुर में। शुरूआती शिक्षा गाँव में ही हुई। आगे की पढ़ाई के लिए वह फ़ैज़ाबाद शहर आ गयीं। प्रतिमा ने वाणिज्य विषय में स्नातक और अर्थशास्त्र विषय में परास्नातक की उपाधि साकेत महाविद्यालय से प्राप्त की। माता श्रीमती मिथिलेश जी गृहिणी हैं और पिता श्री जयप्रकाश सिंह जी पेशे से पत्रकार हैं। प्रतिमा की कविताएं एवं कहानियाँ तमाम प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं और कई ऑनलाइन प्लैट्फ़ॉर्म पर प्रकाशित हो चुकी हैं।

इनकी रुचि काव्य रचना के साथ-साथ फ़िल्म निर्माण और कथा-पटकथा लेखन में भी है। हाल ही में इन्होंने शॉर्ट फ़िल्म “मख़लूक” में सह-निर्देशन किया है।

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