शरतचन्द्र चट्टोपाध्याय बांग्ला भाषा के एक बड़े साहित्यकार थे। उनका जन्म बंगाल के हुगली जिले के छोटे से गाँव देवानन्दपुर में 15 सितम्बर सन् 1876 ई. में हुआ था। शरतचन्द्र जमीन से जुड़ें कथाकार थे। उनकी मृत्यु सन् 1936 ई. में हुई थी। शरतचन्द्र के निधन को आज 80 से भी अधिक वर्ष हो चुके है। इसके बावजूद उनकी रचनाओं के अनुवाद अधिकांश भारतीय भाषाओं में उपलब्ध हैं।
शरतचन्द्र चट्टोपाध्याय बहुचर्चित उपन्यास चरित्रहीन जो 1917 ई में प्रकाशित हुआ था। इसमें मेस जीवन के वर्णन के साथ मेस की नौकरी (सावित्री) से प्रेम की कहानी हैं। नारी का शोषण, समर्पण और भाव जगत तथा पुरुष समाज में उसका चारित्रिक मूल्यांकन तथा इससे उभरने वाला अंतर्विरोध ही इस उपन्यास का केंद्र बिंदु हैं।
शरतचन्द्र ने नारी मन के साथ साथ इस उपन्यास में मानव मन की सूक्ष्म चेतनाओं का भी मनोवैज्ञानिक विश्लेषण किया है, साथ ही यह उपन्यास नारी की परम्परावादी छवि को तोड़ने का भी सफल प्रयास करता है।