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Chunav 2019 : Kahani Modi 2.0 Ki

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  • Generic
  • Pages:280
  • Publisher:Prabhat Prakashan
  • Author:Aaku Shrivastava
  • ISBN10:9353226317
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Highlights

  • Generic
  • Pages:280
  • Publisher:Prabhat Prakashan
  • Author:Aaku Shrivastava
  • ISBN10:9353226317
  • Binding:Paperback
  • ISBN13:9789353226312
  • Language:Hindi
  • SUPC: SDL721402224

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Country of Origin or Manufacture or Assembly India
Common or Generic Name of the commodity History & Politics
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Description

वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में प्रचार की शुरुआत सब दलों ने विकास की बातों से की, लेकिन प्रचार जब चरम पर पहुँचा तो यह एक-दूसरे पर कीचड़ उछालने पर केंद्रित हो गया। यहाँ तक कि नेताओं के बिगड़े बोलों से आजिज आकर सुप्रीम कोर्ट को चुनाव आयोग को निर्देश देने पड़े। दूसरी ओर चुनाव आयोग की भूमिका पर भी खूब सवाल उठाए गए। ई.वी.एम. की विश्वसनीयता को लेकर भी सवाल खड़े किए गए। चुनाव प्रचार निम्न स्तर पर पहुँच गया था। इस तरह से वर्ष 2019 का चुनाव पिछले सत्तर वर्षों में एक अलग ही तरह का चुनाव देखा गया। इस चुनाव में प्रचार के पारंपरिक तरीके तो गायब हुए ही, जनता के सरोकार भी बहुत पीछे छूट गए।

इसके अलावा इस लोकसभा चुनाव में कई ऐसे सवाल खड़े किए, जो 2014 में उठाए गए थे। कुछ के जवाब मिले, कुछ ने और सवालों को जन्म दिया; कुछ भुला दिए गए तो कुछ बहस का मुद्दा बन गए। क्या भविष्य होगा, इन सवालों का और उनके जवाबों का—इसी पर एक गहन चर्चा इस पुस्तक में की गई है।

About the Author

अकु श्रीवास्तव, देखने में पूरा पर यह पूरा नाम नहीं। माँ-बाप ने अवधेश कुमार श्रीवास्तव नाम दिया, लेकिन दोस्तों ने ‘अकु’ कर दिया। किशोरावस्था से ही मन को छू जानेवाले प्रसंगों या मनोभावों ने जब-जब कुरेदा, उनकी अभिव्यक्ति कविता, लघुकथा और कहानी इत्यादि में करते-करते रुझान अखबार की तरफ मुड़ा, बिना किसी तयशुदा पत्रकारिता डिप्लोमा या डिग्री लिये। औपचारिक डिग्री लेते-लेते वर्ष 1979 से अखबार में नौकरी शुरू हो गई। अखबारी जुनून इतना कि किसी और क्षेत्र में कहीं और कभी भी आवेदन नहीं भरा। डेस्क और रिपोर्टिंग पर लगातार काम करने के दौरान जब अपना शहर (लखनऊ) छोड़ने के हालात हुए तो संस्थानों के बदलने के सिलसिले भी शुरू हुए। देश के नामी-गिरामी अखबार समूहों ‘टाइम्स ऑफ इंडिया’, ‘इंडियन एक्सप्रेस’, ‘राजस्थान पत्रिका’, ‘अमर उजाला’, ‘हिंदुस्तान टाइम्स’ और ‘दैनिक जागरण’ समूहों में काम करते, सीढ़ी-दर-सीढ़ी बढ़ते-बढ़ते ढाई दशकों से अधिक समय से संपादक के रूप में काम कर रहे हैं। कुछ समय तक ‘कादंबिनी’ का भी संपादन किया। इस दौरान उत्तर, पूर्व और पश्चिम के कई राज्यों के सामाजिक-राजनीतिक परिदृश्य को गहरे तक देखने, जानने-समझने का मौका मिला।

संप्रति ‘पंजाब केसरी’ (जालंधर) के साथ दिल्ली में ‘नवोदय टाइम्स’ में कार्यकारी संपादक।

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