प्रेम में जितना महत्व शृंगार का है, विरह की महत्ता भी उससे कम नहीं है। गीतकारों और संगीतकारों ने फिल्मों में इन दोनों का ही जमकर प्रयोग किया है। प्रेम में विरह होने पर बोल स्वतः ही फूट पड़ते हैं। इस विरह ने ही सहगल, रफी, किशोर और मुकेश को बुलंदियों पर पहुंचाया। वहीं सुरैया, नूरजहां, शमशाद बेगम, गीतादत्त जैसी गायिकाओं की शोहरत के पीछे भी ‘दर्द भरे’ गीतों की ही महत्वपूर्ण भूमिका रही है। ऐसे ही महान गायक और गायिकाओं के विरह और दर्द भरे गीतों का संकलन है यह पुस्तक।
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