About The Book : मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है।हम सब जिस समाज में रहते हैं ,आए दिन कुछ न कुछ ऐसी घटना घटती है; जो हमारे मनमस्तिष्क पर दस्तक देती है शायद इन्हीं घटनाओं को पूजा रत्नाकर जी ने दस्तक रूपी माला में रंगों और शब्दों से मोती पिरोने का प्रयास किया है । ऐसा प्रतीत होता है की इनमें से कई कविताएं ऐसी हैं जिन का प्रयोग इन्होंने शायद किसी न किसी मंच पर जागरूकता लाने के लिए की होंगी। पूजा जी की हर एक कविताएं सत्य को उजागर करता है । आज की खोखली समाज को इन्होंने अपने कविता रूपी कलम से यह दिखाने की कोशिश की है की हमारी कथनी और करनी में कितना फर्क है। इस पुस्तक में कहीं कवित्री की हुंकार तो कहीं अंतर मन की व्यथा और कहीं मनुष्य को जगाने का प्रयास कुछ इस प्रकार पूजा जी ने आज की व्यवस्था, थोथी समाज ,प्रकृति ,धर्म, दुर्घटना ,मान ,सम्मान ,खुशी ,गम हर क्षेत्र पर दस्तक दिया है।