'दिल ढूँढ़ता है!' सपनों और हकीकत की कश्ती में सवार हर इन्सान जीवन के समन्द को पार करने की कोशिश में इधर से उधर डोलता रहता है, कभी मँज़िल के क़रीब होता है तो कभी उससे कोसो दूर। इसी पाने-खोने की जद्दोजहद से जूझता राहुल, प्यार की तलाश में अपने से दूर जाकर उसे दोहराता हुआ पाता है। उसकी यह तलाश उसके भीतर की कुछ ऐसी उलझी गिरह खोलती है जिसकी उसने कभी कल्पना भी न की थी। राहुल की यह जीवन यात्रा एक नये पड़ाव का अदभूत अनुभव बनकर सामने उभरती है ।