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Filmon Mein Katha-Patkatha Lekhan


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  • ISBN13:9788177213881
  • ISBN10:9788177213881
  • Age:15+
  • Publisher:Prabhat Prakashan
  • Language:Hindi
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Highlights

  • ISBN13:9788177213881
  • ISBN10:9788177213881
  • Age:15+
  • Publisher:Prabhat Prakashan
  • Language:Hindi
  • Author:Ratan Prakash
  • Binding:Hardback
  • Pages:240
  • Edition:2020
  • Edition Details:2020
  • SUPC: SDL202051665

Other Specifications

Other Details
Country of Origin or Manufacture or Assembly India
Common or Generic Name of the commodity Literature & Fiction
Manufacturer's Name & Address
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Marketer's Name & Address
Importer's Name & Address

Description

यह पुस्तक लेखक की फिल्मी दुनिया, यानी मुंबई में रहकर जीना सीखने का लिखित दस्तावेज है, जिनका कई फिल्मी हस्तियों से संपर्क रहा। फिल्म एवं टेलीविजन इंस्टीट्यूट ऑफ पुणे के साथ-साथ फिल्म आर्कइव, फिल्म से जुड़ी लाइब्रेरी, फिल्म लेखक, गीतकार, म्यूजिक डायरेक्टर, एक्टर, चरित्र अभिनेता, कैमरामैन, स्क्रिप्ट राइटर, स्टोरी राइटर, प्रसिद्ध राइटर, प्रोड्यूसर, निर्माता, निर्देशक, फाइनेंसर, डिस्ट्रीब्यूटर, अर्थात् ज्ञान और अनुभव हेतु लेखक को जहाँ और जिनसे मिलने की संभावना बनी, वे वहाँ पर बेहिचक पहुँचकर उसे समझने और हासिल करने की कोशिश में जुट गए। कुछ पुराने अनुभव हटते गए, नए अनुभव जुटते गए और लेखक चिंतन की गहराई में डूबते हुए इस मोड़ पर पहुँचा कि अपने छोटे से, किंतु संघर्षमय अनुभव को आनेवाली पीढ़ी के सामने रखने का यह उपक्रम किया।\nफिल्मों के विभिन्न स्वरूपों पर विस्तृत व्यावहारिक जानकारी देनेवाली प्रामाणिक पुस्तक, जो फिल्मों के शौकीनों के साथ-साथ शोधार्थियों के लिए भी समान रूप से उपयोगी सिद्ध होगी।\n About The Author - रतन प्रकाश\nबहुविध व्यक्तित्व। हिंदी साहित्य के प्रोफेसर रहे, किंतु कई विषयों का अध्ययन किया। पूरा जीवन अध्ययन और संघर्ष के श्वेत-श्याम (रंग नहीं स्वाद) अनुभवों के साथ गतिशील तलाश जारी है। (नाटक) ‘दर्द-ए-ताज’, ‘फिर मिलेंगे’ एवं ‘सर्किट हाउस’ (उपन्यास) का उर्दू में अनुवाद हुआ। पिछले अड़तीस वर्षों में थाईलैंड, मलेशिया, सिंगापुर, जर्मनी, लंदन, फ्रांस, लॉस एंजेल्स, न्यूयॉर्क व हार्वर्ड यूनिवर्सिटी से जुड़े अंतरराष्ट्रीय सम्मेलनों में व्याख्यान हेतु आमंत्रित। राँची विश्वविद्यालय व बिहार सरकार के आर्थिक अनुदान से अनेक देशों की यात्रा। फिल्मों में लेखन के प्रति लगाव। वर्तमान में मुंबई कर्मभूमि है।\nप्रोफेसर रतन प्रकाश के बहुआयामी व्यक्तित्व से ऐसी अनूठी पुस्तक की आशा कब से कर रहा हूँ। इस पुस्तक से फिल्म-लेखन को समझने में सुविधा होगी। आशा है, यह शोधपरक पुस्तक कई अनछुए मार्गों को आलोकित करेगी, चूँकि बॉलीवुड से हॉलीवुड तक की यात्रा और गहन अनुभव इसकी विशेषता है।\n—डॉ. श्याम सिंह ‘शशि’\nऑथर्स गिल्ड ऑफ इंडिया\nनई दिल्ली\n

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