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Hindi ki Vikas Yatra


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  • ISBN13:9789360706647
  • ISBN10:9789360706647
  • Age:18+
  • Publisher:StoryMirror Infotech pvt.Ltd
  • Language:Hindi
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Highlights

  • ISBN13:9789360706647
  • ISBN10:9789360706647
  • Age:18+
  • Publisher:StoryMirror Infotech pvt.Ltd
  • Language:Hindi
  • Author:Keshav Rai & Anant
  • Binding:Hardback
  • Sub Title:कथेतर साहित्य
  • Additional-property:MTO
  • Number of Pages:292
  • Title:Hindi ki Vikas Yatra
  • BIS/ISI License number:NA
  • BIS/ISI required:NA
  • SUPC: SDL800531862

Other Specifications

Other Details
Country of Origin or Manufacture or Assembly India
Common or Generic Name of the commodity History & Politics
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Description

About the Book:

यह हिंदी भाषा के हज़ार वर्षों के अनकहे इतिहास की कहानी को संजोने का प्रयास है। हिंदी की कहानी भारतीय जनमानस की उभरती चेतना, विकासशील दृष्टिकोण और स्वतंत्रता संग्राम के पूर्व और उत्तर आख्यानों का सार है। हिंदी का नया वैश्विक उभार भूमंडलीकरण के साथ हुए समग्र सामाजिक, धार्मिक, भक्ति, औद्योगिक, राजनीतिक, साहित्यिक और तकनीकी परिवर्तनों का परिणाम है।

About the Author:

केशव राय:
वे संप्रति विश्व हिंदी अकादमी, मुंबई के अध्यक्ष हैं और हिंदी के वैश्विक प्रचार-प्रसार के अभियान में सक्रिय हैं। विश्व हिंदी अकादमी, मुंबई और मालवा रंगमंच समिति, मध्य प्रदेश के तत्वावधान में पिछले 30 वर्षों से साहित्य, संस्कृति, कला, संगीत और भाषा पर लगातार विभिन्न आयोजन किए जा रहे हैं। नई पीढ़ी को हिंदी से जोड़ने के लिए इन विधाओं का विकास और प्रचार - प्रसार संस्था का मुख्या उद्देश्य है। इस उद्देश्य के लिए समर्पित केशव राय विश्व हिंदी अकादमी, मुंबई और मालवा रंगमंच समिति के माध्यम से अब तक देश -विदेश के 500 से अधिक हिंदीसेवी लेखकों और कलाकारों को सम्मानित कर चुके है। उन्होंने संविधान में मान्यता प्राप्त 22 भारतीय भाषाओं के प्रतिष्ठित लेखकों को 'विश्व हिंदी अकादमी सम्मान' प्रदान किया है। पिछले 3 दशकों के दौरान केशव राय ने भारतीय फिल्म उद्योग के अग्रणी मीडिया सलाहकार की भूमिका निभाई है। आर्टिस्ट मेनेजमेंट और इवेंट मेनेजमेंट के साथ ही उन्होंने विविध साहित्यिक, सांस्कृतिक व संगीत के कार्यक्रमों का सफल संचालन किया है। मासिक पत्रिका ‘हमारा मध्य प्रदेश’ के संपादक भी रहे हैं। हिंदी के विविध पक्षों को लेकर समय-समय पर वे समकालीन परिचर्चाओं का आयोजन करते
रहे हैं। उनकी संस्था द्वारा पिछले 30 वर्षो से हर वर्ष 14 सितम्बर को हिंदी दिवस के अवसर पर उज्जैन, इंदौर और मुंबई में अंतरराष्ट्रीय परिसंवाद, कवि सम्मेलन, मुशायरा, नाटक, और सम्मान समारोह का आयोजन किया जाता है। हिंदी के प्रचार- प्रसार के लिए समर्पित विद्वान सम्मानित किए जाते हैं ।वे प्रतिवर्ष 10 जनवरी को विश्व हिंदी दिवस पर विशेष कार्यक्रम का आयोजन करते है, इसके अंतर्गत मुंबई में 5 दिवसीय 'मुंबई अंतरराष्ट्रीय हिंदी लिट्फेस्ट' का आयोजन किया जाता है। जिसमें 50 से अधिक विषयों पर 100 से अधिक वक्ताओं ने हिस्सा लिया था और एक ऑनलाइन सत्र ज़ूम पर विदेशों में रह रहे प्रवासी लेखकों के लिए आयोजित किया गया था।

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस, 8 मार्च को समाज में उत्कृष्ट कार्य करने वाली महिलाओं को 'उत्कृष्ट महिला सम्मान' से प्रतिवर्ष सम्मानित किया जाता है। फिल्म संगीत जगत की महान हस्तियों को हर वर्ष 'मालवा संगीत सम्मान' दिया जाता है। साहित्य और संस्कृति के विभिन्न क्षेत्रों में राय का अवदान महत्वपूर्ण है। राय के संचालन में हिंदी की विकास यात्रा पर 10 भागों की शृंखला का आयोजन हुआ था। विषय था 'विदेशों में हिंदी, हिंदी का विदेश'। इसमें 100 देशों के प्रवासी भारतीय विद्वानों ने हिस्सा लिया था। शृंखला के हर भाग में एक भारतीय और 14 अलग अलग देशों के भारतीय होते थे। राय का यूट्यूब चैनल 'विश्व हिंदी अकादमी मुंबई' भी काफी लोकप्रिय है। उसके प्रत्येक एपिसोड में वे चर्चित व्यक्तियों से महत्वपूर्ण बातचीत करते है। इस सिलसिले में उन्होंने सैकड़ों फिल्म जगत व साहित्य जगत की हस्तियों के भी साक्षात्कार किये है। उन्होंने हिंदी को लेकर एक चर्चित लघु फिल्म भी बनायी है। फिल्म का नाम है 'सिर्फ एक ही दिन क्यों?’

राय के 3 पुस्तकालय …इंदौर, उज्जैन व मुंबई हैं, जिनमें लगभग 5000 पुस्तकें है। केशव राय भारत के सभी प्रतिष्ठित लिटरेचर व फ़िल्म फ़ेस्टिवल में उपस्थित रहकर सवाल-जवाब वाले सत्र में महत्वपूर्ण प्रश्न भी करते हैं। केशव राय को समाज, साहित्य और संस्कृति की सेवा का संस्कार स्वतंत्रता संग्राम सेनानी पिता भगवान दास राय और मां लीलावती राय से मिला है। भाई राजेश राय का भी काफ़ी सहयोग रहा है। पत्नी संध्या राय और बेटी कृतिका राय, रिषि राय, राहुल राय ओर प्रमोद राय का हर कदम और योजना में साथ रहता है।

अनंत :
अभी मुंबई में विविध माध्यमों में सक्रिय हैं। वे अपने साथ तीन दशकों के पत्रकारिता और लेखन का अनुभव समेटे हैं। वे हिंदी भाषा की सेवा के अभियान से जुड़े हैं और भारतीय भाषाओं के समवेत जागरण के सभी अभियानों को भारत की सर्वांगीण प्रगति के लिए जरूरी मानते हैं।

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