प्रस्तुत पुस्तक में लेखक ने कालसर्प योग के संबंध में जहां सैद्धांतिक एवं व्यावहारिक जानकारी दी है, वहीं उसके निराकरण के लिए शांतिकर्म, सर्प प्रार्थना, राहु-केतु पूजन, नारायण बलि कर्म तथा रुद्राष्टाध्यायी द्वारा भगवान रुद्र के अभिषेक का भी पूर्ण विधि-विधान बताया है, ताकि इस मृत्युदायी योग से पीड़ित जातक सुखी और समृद्ध जीवन जी सकें।
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