मूलरूप से मुंबई, महाराष्ट्र की रहने वाली वन्दना जैन पेशे से शिक्षिका हैं। इन्होंने महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय, अजमेर, राजस्थान से राजनीति विज्ञान एवं लोक प्रशासन विषयों से परास्नातक किया है। यूँ तो विगत कई वर्षों से ही हिन्दी कविता एवं हिन्दी साहित्य में वन्दना जी की गहरी अभिरूचि रही है किन्तु पिछले दो वर्षों से वन्दना जी लेखन के क्षेत्र में भी सक्रिय हैं। इन्होंने स्त्री विमर्श, श्रृंगार, प्रेम आदि विषयों के साथ-साथ जीवन-दर्शन पर भी अनेक कवितायें लिखी हैं। इनकी कविताओं की भाषा सरल व सहज है। वन्दना जी अपनी कविताओं में हिन्दी, उर्दू के साथ-साथ भावों के स्पष्ट प्रकटन के लिए आम बोलचाल की भाषा का प्रयोग करने से भी नहीं हिचकती हैं। कहीं- कहीं वन्दना जी द्वारा हिन्दी भाषा के क्लिष्ट शब्दों के प्रयोग से हमें इनके व्यापक शब्द-कोष के विषय में पता चलता है। इन्होंने अपनी कविताओं में नए भावों, विचारों और बिम्बों का प्रयोग करते हुए भी कविता के प्रवाह को स्वाभाविक और सहज बनाये रखा है। आशा है, आप सुधी पाठकों के बीच वन्दना जैन जी का यह काव्य संग्रह “कलम वंदन” सराहा जायेगा।