मुंशी प्रेमचंद की लेखनी में ऐसा जादू है कि उनकी रचना पढ़ने पर तत्कालीन समाज का चरित्र-चित्रण आंखों के समक्ष सजीव हो उठता है। देशानुराग, समाज-सुधार, अछूतोद्धार, शिक्षा, गरीबों के लिए मकानों की समस्या, देश के प्रति कर्त्तव्य, जन-जागृति आदि समस्याओं की ओर यह उपन्यास संकेत करता है। संपूर्ण कथा का कार्यक्षेत्र प्रधानतः काशी और हरिद्वार के पास का देहाती इलाका ही है। प्रेमचंद द्वारा लिखित कर्मभूमि नामक यह उपन्यास आदर्शोन्मुख यथार्थवाद से ओत-प्रोत है।
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