‘‘तो नील, कल्पना करो कि कोई है, जिससे मैं प्यार करती हूँ, इकतरफा और मैं उससे पिछले सात वर्षों से प्यार करती हूँ। सदा से इकतरफा और मैंने उसे आज तक नहीं बताया है।’’
‘‘तुम वाकई अद्भुत हो, है न?’’
‘‘और तुम कितने लोगों को जानते हो, जो किसी को सात वर्षों से चाहते हों और वह भी एकतरफा?’’
‘‘मेरे खयाल से यह एकतरफा प्यार है, इसीलिए सात वर्षों से चला आ रहा है। अगर यह दोनों तरफ से होता तो शायद इसकी भी नियति मेरी जैसी ही होती।’’
‘‘जब तक ऐसा कुछ होता नहीं, कोई नहीं जानता।’’
‘‘मगर तुमने उसे इसके बारे में बताया क्यों नहीं?’’
‘‘मेरी माँ ने कहा था, अगर मैं किसी से प्यार करती हूँ तो उसे बताने से पहले मुझे अठारह वर्ष पूरे करने होंगे। उसने कहा, उस लड़के से मिलने से पहले मुझे बालिग होना चाहिए।’’
—इसी उपन्यास से
प्रेम और अंतरंगता के ताने-बाने में बुना अत्यंत रोचक और पठनीय उपन्यास। एक बार पढ़ना शुरू करने के बाद पाठक इसे खत्म करके ही रुकेंगे।
About the Author
देहरादून के मूल निवासी श्री अरविंद पाराशर आजकल बेंगलुरु में रहते हैं। उन्होंने जी.ई., डेल और जेनपेक्ट जैसे कई कॉरपोरेट संस्थानों में उच्च पदों पर अपनी सेवाएँ दीं। अपनी लेखकीय आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए उन्होंने अपनी कॉरपोरेट नौकरी को विराम दे दिया। उनकी लेखनी ने चमत्कार कर दिया—एक के बाद एक आए उनके सभी उपन्यासों ने पाठकों का दिल जीत लिया।
उनके पहले उपन्यास ‘क्रॉस वर्ड’ ने अपार सफलता हासिल की। उनका दूसरा उपन्यास ‘मेस्ड अप! बट ऑल फॉर लव’ भी एमेजोन की सर्वाधिक पढ़ी जानी वाली पुस्तक बनी। इतना ही नहीं, इस पुस्तक ने किसी भारतीय द्वारा लिखी गई रोमानी रहस्य गाथाओं में पहले दस में स्थान बनाया है।
अरविंद एक समाजसेवी और प्रेरक वक्ता भी हैं। उन्होंने देश की अलग-अलग जगहों पर सभाओं और साहित्य-सम्मेलनों के माध्यम से विद्यार्थियों और कॉरपोरेट जगत् के लोगों को संबोधित किया है। उन्होंने हमेशा शिक्षा का समर्थन किया है और मानसिक रूप से कमजोर बच्चों की पढ़ाई को भी वे भरपूर सहयोग देते हैं। वे एक चित्रकार भी हैं और खाली समय में चित्र बनाना पसंद करते हैं। वे भविष्य में अपने चित्रों की एक प्रदर्शनी भी आयोजित करना चाहते हैं। ‘लॉस्ट इन लव’ उनकी तीसरी पुस्तक है।