“धूप का बोझ”, “दो शब्दों के बीच”, “सत्य की दस्तक”, “सूरज की ओर” और “रास्तों का सफ़र ज़िन्दगी” इन पाँच पुस्तकों के प्रकाशन के उपरान्त “मौसम फिर बदलेगा” समवेत प्रकाशन से प्रकाशित होने वाली श्री कृष्ण सिंह हाडा जी की छठवीं पुस्तक है।
इस पुस्तक “मौसम फिर बदलेगा” में श्री हाडा जी ने अपनी कविताओं के माध्यम से जहाँ एक ओर मानव को स्वयं के अस्तित्व को पहचान कर आगे बढ़ने का संदेश दिया है, वहीं दूसरी ओर अपनी प्रचलित शैली में बाहरी आडम्बरों और आधारहीन परम्पराओं का पुरज़ोर विरोध भी किया है।
समाज में वैसे तो हर सम्प्रदाय, हर संगठन अपना-अपना ही एक सत्य स्थापित कर लेता है और शेष समाज से आँखें बंदकर उसी सत्य पर विश्वास करने की अपेक्षा भी करता है। श्री हाडा जी ने हर मान्यता, हर आस्था को तर्क और विवेक की कसौटी पर कसने और उस परम सत्य को समझने का प्रयास करने पर बल दिया है।
इन रचनाओं में हिंदी, अरबी, उर्दू, फ़ारसी के साथ-साथ कुछ ऐसे शब्द भी मिलते हैं जो सामान्यतः मूलधारा की हिंदी कविताओं में नहीं पाये जाते जो कि इनकी रचनात्मकता के साथ-साथ प्रयोगधर्मिता का भी अप्रतिम उदाहरण है, इतना सब होने के बावजूद भी आप पाएंगे कि भाषा की सरलता, सहजता और भाव की व्यापकता पर विशेष ध्यान दिया गया है।