किताब के बारे में
इस संग्रह की अधिकांश कहानियां बैंकिंग जगत से संबंधित हैं। ‘एन.पी.ए.’ (नॉन परफॉर्मिंग एसेट) बैंकिंग जगत का एक चिर-परिचित, टेक्निकल एवं संवेदनशील शब्द है। तनाव भरी नौकरी के बावजूद बैंककर्मी ज़िंदादिली की मिसाल पेश करते हैं। बैंकिंग एवं सामाजिक जगत की रोचक प्रसंगों से भरी ये कहानियां निश्चित रूप से पाठकों के बीच अपना स्नेह भरा स्थान प्राप्त करेंगी।
लेखक के बारे में
रमेश यादव, साहित्यकार, स्वतंत्र पत्रकार एवं प्रतिभाशाली व्यक्तित्व के धनी हैं। लेखन, अनुवाद, बाल साहित्य के साथ-साथ मराठी लोक साहित्य को हिंदी में ले आने का कार्य किया है। अब तक 9 पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं, जिनमें से 3 पुस्तकों को महाराष्ट्र राज्य साहित्य अकादमी का पुरस्कार प्राप्त है।