भारतीय ज्योतिष के अनुसार इस प्रकृति में सबकुछ व्यवस्थित है और सुनिश्चित नियम के अंतर्गत घटित हो रहा है। इसीलिए जातक के भविष्य का कथन कर पाना संभव हो जाता है। इस संदर्भ में ग्रहों की अनुकूलता और प्रतिकूलता अत्यंत महत्वपूर्ण है। तभी तो ग्रहों के अनिष्ट को समाप्त करने के लिए नवग्रहों, इनके स्वामियों तथा प्रत्यधिदेवताओं के पूजन आदि का निर्देश शास्त्रों में किया गया है। प्रस्तुत पुस्तक में नवग्रहों से संबंधित सैद्धांतिक और व्यावहारिक जानकारी समग्र रूप से प्रस्तुत की गई है।