प्रस्तुत पुस्तक - " भारत की राजव्यवस्था " सिविल सेवा की परीक्षाओं के अतिरिक्त अन्य सभी राज्यों की परीक्षाओं के अभ्यर्थियों द्वारा अवश्य पढ़ा जाता है। इस पुस्तक में विषय वस्तुओं को वृहद एवं विस्तार रूप से संदर्भित समसामयिक मुद्दों के साथ इस प्रकार प्रस्तुत किया गया है ताकि यह स्नातक एवं स्नातकोत्तर विद्यार्थियों, शोध ध्येतओं, शैक्षिक विशेषज्ञों की आवश्यकताओं को पूरा करने में अपना अत्यंत बहुमूल्य योगदान दे सके तथा सामान्य पाठकों, जो देश की राजनैतिक,नागरिक एवं संवैधानिक मुद्दों/ मामलों की जानकारी में रूचि रखते हैं,के लिए भी उपयोगी साबित हो सके । इस संस्करण में छः नए मुख्य अध्यायों को शामिल किया गया है। इनमें प्रदत्त सभी अध्यायों को नवीन आंकड़ों एवं घटनाओं के आधार पर संशोधित एवं परिवर्द्धित किया गया है।
मुख्य आकर्षण:
1. 80 अध्यायों एवं 16 परिशिष्टों को समाविष्ट करते हुए भारतीय राजव्यवस्था एवं संवैधानिक क्रियाकलापों का पूर्ण विवेचन
2. परीक्षा के अद्यतन पाठ्यक्रम के अनुसार अध्यायों का पुनः व्यवस्थापन
3. जम्मू एवं कश्मीर तथा लद्दाख पर हाल ही में हुए विकास, संवैधानिक व्याख्या, न्यायिक सक्रियता/सक्रियतावाद और न्यायिक समीक्षा का पूर्ण विश्लेषण
4. सिविल सेवा की प्रारंभिक एवं मुख्य परीक्षाओं के संशोधित पूर्व वर्षों के प्रश्नों एवं उनपर आधारित प्रैक्टिस प्रश्नों का उचित समायोजन
5. सिविल सेवा, विधि, राजनीतिक विज्ञान तथा लोक प्रशासन के विधार्थियों हेतु वन स्टॉप सोल्युशन
6. छः नवीन अध्याय:
वस्तु एवं सेवा कर परिषद
राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग
राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण
राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन
क्षेत्रीय दलों की कार्य प्रणाली
साझा/ गठबंधन सरकार.
About the Author
एम. लक्ष्मीकांत ने हैदराबाद स्थित उस्मानिया विश्वविद्यालय से राजनीति विज्ञान में स्नातकोत्तर की डिग्री हासिल की है और इनके पास सिविल सेवा के अभ्यर्थियों को दशकों से पढ़ाने का अनुभव भी प्राप्त है। इन्होनें अभी तक भारतीय राजव्यवस्था, शासन एवं लोक प्रशासन नामक विषयों पर विभिन्न प्रकार के पुस्तकों की रचना की है।