About Book:
यह पुस्तक कविताओं का ऐसा संकलन है जिसमें आप अलग अलग रसों की अनुभूति करेंगें। लेखक ने अपने संवेदनशील विचारों को निर्भीक तरीके से रखा है। विषय चाहे एक वृद्ध व्यक्ति की अंतरदशा की हो, बेटियों की हो, प्राकृतिक असंतुलन की हो, प्रेम की हो, या फिर वर्तमान के तंत्र की हो, कविताओं में लेखक ने अपने अवलोकन को, अपने विचारों को बखूबी रखा है। पाठक इन कविताओं से खुद को जोड़ पाएंगे ।
About the Author:
इन्द्रजीत वर्मा मूलतः बिहार से है। इन्होने इंस्टिट्यूट ऑफ़ रूरल मैनेजमेंट आणंद (IRMA) से एम् बी ए करने के पश्चात 2006 में केनरा बैंक में प्रबंधक के रूप में कार्य करना शुरू किया। फिर २०१० में वहां से त्यागपत्र देकर इन्होने बिहार के कोसी क्षेत्र में बाढ़ में क्षतिग्रस्त हुए मकानों के पुनर्निर्माण हेतु विश्व बैंक वित्त पोषित प्रोजेक्ट में मुख्य कार्यक्रम समन्वयक के रूप में कार्य किया। जहाँ इन्हे ग्रामीण व्यवस्था को बेहद करीब से समझने का मौका मिला। फिर इन्होने नाबार्ड फिन सर्व ltd (नाबफिन्स) में सहायक महा प्रबंधक के रूप में लगभग ५ सालों तक काम किया। वर्त्तमान में ये एक माइक्रोफिनांस कंपनी में बिज़नेस हेड के रूप में कार्यरत हैं। इन्हे गांव और कस्बो में घूमने में आनंद आता है। इनके द्वारा फ़ूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्री पर लिखी हुई लेख को RBI ने एक पुस्तक के अध्याय के रूप में प्रकाशित किया है। माइक्रोफिनांस सेक्टर के ऊपर फाइनेंसियल एक्सप्रेस में छपा इनका एक लेख चर्चा में था। अपने नौकरी के साथ साथ वो सामजिक गतिविधियों में रुचि रखते हैं। ये प्रबंधन में UGC नेट उत्तीर्ण हैं और उन्होंने कई स्थानों पर प्रवक्ता के रूप में अपना योगदान दिया है। यह इनकी पहली कविता संग्रह है।