प्रत्येक व्यक्ति को अपने भविष्य में घटित होनेवाली शुभाशुभ घटनाओं को जानने की जिज्ञासा रहती है। यही कारण है कि आज की शिक्षित युवकों में भी ज्योतिष के अध्ययन के प्रति रुचि जाग्रत् होती जा रही है।
विद्वान् लेखक की पहली पुस्तक ‘आधुनिक ज्योतिष’ बड़े-बड़े ज्योतिर्विदों के लिए भी वैज्ञानिक आधार सिद्ध हो चुकी है। प्रस्तुत है, ज्योतिष के फलित पक्ष पर लिखी गई उनकी एक और प्रामाणिक रचना, जिसमें उन्होंने राशियों, ग्रहों एवं भावों की शुभाशुभता, भावात् भावम् के सिद्धांत, सुदर्शन पद्धति, ग्रह दृष्टि भेद आदि अनेक जटिल प्रकरणों के अतिरिक्त ज्योतिष के एक सौ इक्कीस महत्त्वपूर्ण फलित सूत्रों को भी अनेक व्यक्तियों की जन्मकुंडलियों द्वारा सिद्ध किया है; साथ ही विभिन्न लग्नों की कुंडलियों में राशियों, भावों तथा ग्रहों के आधार पर विवेचन करते हुए प्रत्येक भाव से संबंधित अनेक विशिष्ट योग भी प्रस्तुत किए हैं, जिससे पुस्तक की उपयोगिता कई गुना बढ़ गई है।
प्रस्तुत पुस्तक में प्रयास किया गया है कि पाठक निश्चित सिद्धांतों के आधार पर स्वयं अपनी जन्मकुंडली का अध्ययन कर अपनी जिज्ञासा शांत रख सकें।