About the Book:
परिवार, समाज, देश दुनिया और प्रकृति के साथ चलता यह जीवन नित्य ही अच्छी बुरी और अनहोनी घटनाओं से जूझता रहता है। वह घटनाएं हम से जुड़ी हों या नहीं किंतु इन सभी का हिस्सा होने के कारण हम स्वतः ही उनसे जुड़ जाते हैं। यह घटनाएं कभी हंसाती हैं, सुख और शांति प्रदान करती हैं और कभी आँखों को आँसुओं से भर देती हैं, बस ऐसी ही कुछ घटनाओं को दर्शाती और जागरूकता लाने का प्रयास करती हुई मेरी कुछ रचनाएं इस पुस्तक "प्रतिबिम्ब - समाज का" में अपना अस्तित्व उजागर कर रही हैं, उम्मीद है कि इन रचनाओं को आप सभी का आशीर्वाद मिलेगा।
About the Author:
रत्ना पांडे, वडोदरा (गुजरात) की रहने वाली हैं। देश के विभिन्न कोनों से प्रकाशित होने वाले समाचार पत्र और पत्रिकाओं में इनकी रचनाएं नियमित रूप से प्रकाशित होती रहती हैं। "प्रतिबिम्ब समाज का" इनका दूसरा स्वरचित एकल काव्य संग्रह है। इस काव्य संग्रह की एक-एक रचना समाज में हो रही घटनाओं का प्रतिबिम्ब दर्शाती है। अपनी कलम के माध्यम से इन्होंने अपनी भावनाओं को काग़ज़ के पन्नों पर स्थान दिया है।
इनकी रचनाएं मुख्यतः पारिवारिक संबंधों, नारी, देश भक्ति तथा सामाजिक घटनाओं पर केंद्रित रहती हैं। एकदम सरल शब्दों में लिखी इनकी रचनाएं आपके दिल तक अवश्य ही पहुँचेगी ।