आई. आई. एम. (कोलकाता) से प्रशिक्षित, 1974 में जन्मे अमीश ने एक बोरिंग बैंकर से एक सफल लेखक का लम्बा सफ़र तय किया है। अपने पहले उपन्यास मेलूहा के मृत्युंजय (शिव रचना त्रयी का प्रथम भाग) की अपार सफलता से प्रोत्साहित होकर आप फ़ाइनेंशियल सर्विस का चौदह साल का कैरियर छोड़ कर लेखन क्षेत्र में आ गये। इतिहास, पौराणिक कथाओं एवं दर्शन के प्रति आपके रुझान ने आपको विश्व के सभी धर्मों और उनके अर्थ को समझने के लिए प्रेरित किया। अमीश की पुस्तकों की पचपन लाख से अधिक प्रतियाँ बिक चुकी हैं और उनका उन्नीस से अधिक भाषाओं में अनुवाद हो चुका है।
शुचिता मीतल एक लम्बे समय से भारतीय अनुवाद परिषद एवं यात्रा बुक्स से जुड़ी हुई हैं। आपने नमिता गोखले की शकुंतला, संजीव सान्याल की मंथन का सागर, अमीश की वायुपुत्रों की शपथ, नीलिमा डालमिया आधार की कस्तूरबा की रहस्यमयी डायरी समेत पच्चीस से अधिक पुस्तकों का अनुवाद किया है।