रामदरश मिश्र के कथा-साहित्य में से किशोर चरित्रों और उनके परिवेश के इर्द-गिर्द सृजित कहानियों का यह महत्त्वपूर्ण संकलन है। किशोर सुलभ रोचक प्रसंगों से भरपूर इनको पढ़ने का एक अलग ही आनंद है। इसमें पंद्रह कहानियों के साथ चार उपन्यासों से चयनित अंश और उनकी डायरी का एक अंश शामिल है। लेखक द्वारा गढ़े गए किशोर चरित्रों की जीवंतता की व्यापकता हास्य, व्यंग्य, करुणा, वात्सल्य आदि रस-रंग से सराबोर है। कहानियों में अनेक ऐसे प्रसंग भी हैं, जो मात्र किशोरवय को ही नहीं, बल्कि मानव जीवन को समग्रता के साथ प्रस्तुत करते हैं और किशोरों को स्वयं को समझने तथा सँवारने की नई दृष्टि प्रदान करते हैं। जिए हुए जीवन से उत्पन्न लेखक की गहन अनुभूतियाँ इन कहानियों को पाठक के लिए सहज संप्रेष्य बनाती हैं।
शिक्षा क्षेत्र से जुड़े मनीषियों के लिए कुछ नवीन आयामों को उजागर करने में यह संकलन सहायक सिद्ध होगा। साथ ही भारतीय बाल-साहित्य के विशेष संदर्भ में इनका पठन-पाठन अध्येताओं के लिए भी उपयोगी है।
कहानियों की भाषा-शैली भी परिवेशगत सहजता से ओतप्रोत है। जहाँ शहरी या कस्बाई वातावरण में शब्दों का सौंदर्य है तो वहीं ग्रामीण परिवेश में देशज शब्दों की मिठास है। कथ्य और अभिव्यक्ति दोनों ही दृष्टियों से यह संग्रह पठनीय व किशोरोपयोगी है।
About the Author
रामदरश मिश्र
जन्म : 15 अगस्त, 1924 को गोरखपुर जिले के डुमरी गाँव में।
शिक्षा : एम.ए., पी-एच.डी.।
रचना-संसार : पथ के गीत, बैरंग-बेनाम चिट्ठियाँ, पक गई है धूप, कंधे पर सूरज, दिन एक नदी बन गया, मेरे प्रिय गीत, बाजार को निकले हैं लोग, जुलूस कहाँ जा रहा है? (कविता-संग्रह); हँसी ओंठ पर आँखें नम हैं (गजल-संग्रह); पानी के प्राचीर, जल टूटता हुआ, सूखता हुआ तालाब, अपने लोग, रात का सफर, आकाश की छत, आदिम राग, बिना दरवाजे का मकान (उपन्यास); खाली घर, एक वह, दिनचर्या, सर्पदंश, बसंत का एक दिन, इकसठ कहानियाँ, अकेला मकान, दिन के साथ, मेरी कथायात्रा, विरासत (कहानी-संग्रह); कितने बजे हैं, बबूल और कैक्टस, घर-परिवेश, छोटे-छोटे सुख, नया चौराहा (निबंध-संग्रह); सहचर है समय (आत्मकथा); घर से घर तक, देश-यात्रा (यात्रावृत्त); आते-जाते दिन, आस-पास, बाहर-भीतर, विश्वास जिंदा है (डायरी); हिंदी आलोचना का इतिहास, हिंदी समीक्षा : स्वरूप और संदर्भ, हिंदी उपन्यास : एक अंतर्यात्रा, हिंदी कहानी : अंतरंग पहचान, आलोचना का आधुनिक बोध (आलोचना); स्मृतियों के छंद, अपने-अपने रास्ते, एक दुनिया अपनी, सर्जना ही बड़ा सत्य है (संस्मरण); अंतरंग, मेरे साक्षात्कार, संवाद-यात्रा (साक्षात्कार); बूँद-बूँद नदी, नदी बहती है, दर्द की हँसी, सरकंडे की कलम (संचयन)।