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Supreme Court Mein Ramlala


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  • ISBN13:9789353229184
  • ISBN10:9789353229184
  • Age:15+
  • Publisher:Prabhat Prakashan
  • Language:Hindi
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Highlights

  • ISBN13:9789353229184
  • ISBN10:9789353229184
  • Age:15+
  • Publisher:Prabhat Prakashan
  • Language:Hindi
  • Author:Pawan Kumar
  • Binding:Paperback
  • Pages:232
  • Edition:20192020
  • Edition Details:20192020
  • SUPC: SDL602636709

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Other Details
Country of Origin or Manufacture or Assembly India
Common or Generic Name of the commodity Literature & Fiction
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Description

इस पुस्तक में अयोध्या विवाद की सुप्रीम कोर्ट में 40 दिनों तक चली मैराथन सुनवाई और कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले के हर बारीक-से-बारीक पहलुओं का वर्णन किया गया है। 40 दिन की सुनवाई में किस दिन किस पक्षकार ने क्या दलीलें दीं? उनके क्या जवाब दिए गए और कोर्ट के किस-किस जज ने सुनवाई के दौरान क्या टिप्पणी की? अयोध्या विवाद की 40 दिन की सुनवाई में अखबारों की सुर्खियाँ केवल गिनी-चुनी कोर्ट की टिप्पणियाँ और दलीलें ही बनी थीं, जबकि कोर्ट की सुनवाई में उनसे इतर भी बहुत कुछ घटित हुआ था। अखबारों व टी.वी. चैनलों की खबरों में इन जानकारियों का अभाव रहता है कि दिन भर चली सुनवाई में खास टिप्पणियों के अलावा क्या कुछ हुआ। बहुत से लोग ये जानना चाहते हैं कि अयोध्या विवाद की दिन भर की सुनवाई में पूरे दिन क्या-क्या हुआ? इनके जवाब आपको इस पुस्तक के माध्यम से मिलेंगे।\nपुस्तक में अयोध्या विवाद का संक्षिप्त वर्णन, इलाहाबाद हाइकोर्ट का फैसला किन प्रमुख आधारों पर दिया गया था, इसकी जानकारी भी दी गई है। फिर यह विवाद सुप्रीम कोर्ट पहुँचा और 8 साल तक लंबित रहा। सुप्रीम कोर्ट ने मध्यस्थता से विवाद को सुलझाने के दो प्रयास किए और दोनों ही विफल रहे।\nआखिर कैसे तीन हिस्सों में विभाजित जमीन के मालिक रामलला साबित हुए। इस सवाल का जवाब भी आपको इस पुस्तक में मिलेगा। पुस्तक के अंत में सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले में बेनामी राय देनेवाले जज के 116 पेज के अडेंडम को विस्तार दिया गया है, जिसमें एक जज ने बिना अपना नाम बताए तथ्यों के आधार पर बताया है कि विवादित स्थल ही भगवान् राम का जन्मस्थल है। इन सभी सुनी-अनसुनी जानकारियों के साथ इस पुस्तक को तैयार किया गया है।\n“इस अदालत को एक ऐसे विवाद का समाधान करने का कार्य सौंपा गया था, जिसकी जड़ें उतनी ही पुरानी थीं जितना पुराना भारत का विचार है। इस विवाद के घटनाक्रम मुगल साम्राज्य से लेकर मौजूदा संवैधानिक शासन तक फैले हैं।”\n“ऐतिहासिक निर्णय का अंतिम वाक्य—\nनिष्कर्ष यह है कि मस्जिद बनने से पहले भी हिंदुओं की आस्था यही थी कि भगवान् राम का जन्मस्थान वही है, जहाँ बाबरी मस्जिद थी और इस आस्था की पुष्टि दस्तावेजों और मौखिक गवाही से हो चुकी है।”पवन कुमार पिछले करीब दो दशक से न्यायालयों से जुड़ी रिपोर्टिंग में सक्रिय हैं। वे पिछले तीन साल से देश के सबसे बड़े समाचार-पत्र समूह दैनिक भास्कर के लिए सुप्रीम कोर्ट के विशेष संवाददाता हैं। वर्ष 2000 से सक्रिय पत्रकारिता में रहे हैं। इन्होंने हरियाणा, पंजाब, चंडीगढ़, हिमाचल प्रदेश, आंध्र प्रदेश और दिल्ली में अलग-अलग विषयों पर आधारित सक्रिय पत्रकारिता की है। इन्होंने अपने पत्रकारिता के कॅरियर में पंजाब केसरी अखबार से शुरुआत करते हुए हरिभूमि, दैनिक जागरण, अमर उजाला, ईनाडु ग्रुप (ई.टी.वी.) और दैनिक भास्कर जैसे प्रमुख समाचार-पत्रों में काम किया है। इन्होंने अपनी लीगल रिपोर्टिंग के दौरान विभिन्न बड़े मामलों, यथा—तीन तलाक, आधार, रफाल, सहारा-सेबी विवाद और हिंदुत्व जैसे संवेदनशील मामलों—में लाइव रिपोर्टिंग का कॉन्सेप्ट शुरू किया।\nसंपर्क : 9999670566, 9650700064\nइ-मेल : pawankumar.pks@gmail.com

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